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पूर्वांचल में शिक्षा के सूर्य का अस्त : किराए की इमारत से शुरू हुआ, कैसे बना शिक्षा का साम्राज्य



आजमगढ़ : जिले में जब भी शिक्षा के क्षेत्र में समर्पण, संघर्ष और सफलता की बात होती है, तब प्रोफेसर बजरंग त्रिपाठी का नाम अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के साथ लिया जाएगा। ऑल इंडिया चिल्ड्रन केयर एजुकेशनल एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के संस्थापक और 24 से अधिक शिक्षण संस्थानों के प्रणेता प्रो. त्रिपाठी का जीवन वास्तव में एक मिशन था — शिक्षा को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने का मिशन।

पूर्वांचल में शिक्षा के मालवीय कहे जाने वाले प्रमुख शिक्षाविद प्रोफेसर बजरंग त्रिपाठी का लंबी बीमारी के बाद 82 साल की उम्र में गुरुवार की सुबह निधन हो गया। शोक में ऑल इंडिया चिल्ड्रेन केयर एजुकेशनल एंड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा संचालित सभी शिक्षण संस्थाएं तीन दिन के लिए बंद रहेंगी। 

संघर्ष की शुरुआत

उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जनपद के छोटे से कस्बे जहांगीरगंज में 1943 में जन्मे बजरंग त्रिपाठी ने शिक्षा को केवल अपने करियर का हिस्सा नहीं बनाया, बल्कि उसे अपनी आत्मा से जोड़ लिया। 1963 में शिब्ली कॉलेज, आजमगढ़ से स्नातक करने के बाद उन्होंने एनसीसी और गृह मंत्रालय में कार्य किया, लेकिन अंततः उनका झुकाव शिक्षा की ओर ही रहा। 1970 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. करने के पश्चात उन्होंने 1970-71 में साकेत कॉलेज फैजाबाद में डिफेंस स्टडीज के लेक्चरर और फिर 1972 में शिब्ली कॉलेज में में लेक्चरर के रूप में नियुक्त हुए।

शिक्षण से सेवा तक: शिक्षा का जन आंदोलन

28 वर्षों तक उच्च शिक्षा में अध्यापन करने के बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर एक नई राह चुनी — स्वतंत्र और सर्वसमावेशी शिक्षा की स्थापना। 7 जुलाई 1977 को आजमगढ़ के हरबंशपुर में किराए की एक बिल्डिंग से ‘चिल्ड्रन स्कूल’ की शुरुआत ने इस महान यात्रा की नींव रखी। ये छोटा सा प्रयास कुछ वर्षों में एक विशाल शिक्षा संस्थान के रूप में विकसित हुआ।



प्रो. त्रिपाठी ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर उद्देश्य स्पष्ट हो, तो सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं। चिल्ड्रन कॉलेज को 1986 में ICSE और 1992 में CBSE बोर्ड की मान्यता प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने व्यावसायिक और चिकित्सा शिक्षा को भी समाज की मुख्यधारा से जोड़ा। फार्मेसी कॉलेज (1999), डेंटल कॉलेज (2005), नर्सिंग डिग्री कॉलेज (2006), सर्वदेव आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, बीएड कॉलेज, लॉ कॉलेज, पॉलिटेक्निक कॉलेज, अंबेडकरनगर में गर्ल्स स्कूल, संत कमला पब्लिक स्कूल सहित 24 से अधिक संस्थान उनके दूरदर्शी नेतृत्व के साक्षी हैं। हाल ही में उनके नाम पर सैनिक स्कूल का भी शिलान्यास किया गया है। 


पूर्वांचल में शिक्षा का पर्याय

आजमगढ़, अंबेडकरनगर और पूर्वांचल के कोने-कोने में फैले उनके संस्थान न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता का प्रतीक हैं, बल्कि एक आदर्श सामाजिक चेतना के केंद्र भी हैं। हजारों छात्र, जो आज विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी हैं, उनकी सोच और कार्यशैली को जीवित रखे हुए हैं।

उन्हें शब्दों में नहीं, कार्यों में याद किया जाएगा...

प्रो. बजरंग त्रिपाठी अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका कार्य, उनकी दृष्टि, और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों को दिशा दिखाता रहेगा। उन्होंने दिखाया कि शिक्षा केवल किताबों का ज्ञान नहीं, बल्कि समाज को गढ़ने का सबसे बड़ा औजार है।

आज जब शिक्षा में बाजारीकरण और संकीर्ण दृष्टिकोण का बोलबाला है, तब प्रो. त्रिपाठी जैसे व्यक्तित्व हमें यह याद दिलाते हैं कि सच्चे शिक्षक वह हैं जो पीढ़ियों का निर्माण करते हैं, न कि सिर्फ कक्षाओं का संचालन।

भावभीनी श्रद्धांजलि।


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