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प्रधान की हत्या राजनीति शुरू, कांग्रेसियों व चन्द्रशेखर रावण को गांव जाने से पुलिस ने रोका



आजमगढ़ : तरवां थाना क्षेत्र के बांसगांव के दलित ग्राम प्रधान सत्यमेव जयते की बदमाशों ने बीते 14 अगस्त की रात को हत्या कर दी थी। इसको लेकर जिले में अब राजनीति शुरू हो गई है। मृतक प्रधान के घर जाने और परिजनों से मिलने के लिए गुरूवार की सुबह कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधिमंडल जैसे ही सर्किट हाउस से रवाना होने की कोशिश किया, पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, राज्यसभा सदस्य पीएल पुनिया, पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी, पूर्व मंत्री आरके चौधरी, अनुसूचित विभाग के अध्यक्ष आलोक पासवान गेट के अंदर घरने पर बैठ गए। वहीं, स्थानीय कांग्रेसी गेट के बाहर धरना देने लगे। इस दौरान दोनों ओर से नारेबाजी शुरू हो गई। मौके पर पीएसी के जवान भी तैनात कर दिए थे। एसपी सिटी पंकज पांडेय, एसपी ग्रामीण सिद्धार्थ सुबह से ही मौके पर कमान संभाले हुए थे।


   गुरूवार को कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल तरवां के बांसगांव जाने के लिए सर्किट हाउस से बाहर निकला तो मुख्य गेट में ताला बंद मिला। इसके बाद कांग्रेसियों ने हंगामा शुरू किया और गेट फांदकर बाहर आने की कोशिश की लेकिन पहले से तैयार पुलिस सभी नेताओं को सर्किट हाउस के भीतर उठा ले गई। भारी संख्या के कारण कांग्रेसियों का प्रतिरोध काम नहीं आया। 

वहीं दूसरी तरफ बड़े नेताओं के हिरासत में लिए जाने के बाद बाहर मौजूद नेता जिलाध्यक्ष प्रवीण सिंह के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। कांग्रेसी पांच लोगों को मृत प्रधान के घर भेजने की जिद पर अड़े हुए है, वहीं प्रशासन कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें आगे जाने की अनुमति देने के लिए तैयार नहीं है।  कांग्रेसियों और पुलिस में जमकर धक्का-मुक्की हुई। पूरा क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। मौके पर पीएसी के जवान तैनात हैं। गांव में भी फोर्स तैनात है।

पुलिस ने चन्द्रशेखर आजाद रावण को भी रोका

वहीं, दूसरी तरफ आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद 'रावण' भी जनपद की सीमा पर पहुंच गए। उन्हें भी आगे बढ़ने से पुलिस-प्रशासन ने अतरौलिया थाना क्षेत्र के लोहरा टोल प्लाजा पर रोक दिया। वह भी अपने समर्थकों के साथ वहीं धरने पर बैठ गए।  इस बीच एसडीएम और सीओ ने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वो धरने से उठने के लिए तैयार नहीं थे।

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