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जनसमुदाय से पोषण सेवाओं को आंदोलन का रूप देने की अपील : जिलाधिकारी


आजमगढ़ : जनपद के प्रत्येक बच्चे को स्वस्थ बनाने के उद्देश्य से जिलाधिकारी राजेश कुमार ने अति कुपोषित बच्चों के अभिभावकों से बच्चों को चिकित्सकों की सलाह पर पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) भेजने में सहयोग मांगा है। 
जिलाधिकारी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं बाल विकास विभाग के माध्यम से बच्चों एवं महिलाओं के पोषण में सुधार के लिए निरंतर काम कर रही हैं। वह अतिकुपोषित बच्चों (सैम) का चिह्नीकरण कर रहीं हैं और उनका संदर्भन कर रहीं हैं। इस कार्य का एकमात्र उद्देश्य जनपद को कुपोषण मुक्त बनाना है। इसलिए ऐसे परिवार जिनमें इस श्रेणी के बच्चे हैं, वह अपने बच्चों को नजदीक के एएनएम उपकेंद्रों, प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र पर भेजने में सहयोग करें।


   जिलाधिकारी ने कहा है कि पोषण की दृष्टि से बाल्यकाल के प्रथम 1000 दिन (गर्भावस्था के 270 दिन और दो साल के होने तक के 730 दिन) बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। एक तरह से बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास के लिए यह सुनहरा अवसर है। इस समय बच्चों को सम्पूर्ण भोजन, टीकाकरण, स्वच्छता एवं देखरेख की जरूरत होती है। वह कहते हैं कि स्तनपान शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है। बच्चों को छह माह तक सिर्फ माँ का दूध ही पिलाएँ। मां का यही दूध शारीरिक-मानसिक विकास, डायरिया, न्यूमोनिया, कुपोषण से बचाने तथा स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है। छह माह तक केवल मां का दूध-इस थीम को इस पोषण माह में बढ़ावा दिया जा रहा है। छह माह बाद स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार की शुरुआत करना चाहिए जिसमें भरपूर पोषक तत्व हों। इस पोषण माह में किचेन/न्यूट्री गार्डेन के लिए पौधे लगाए जाने का निश्चय किया गया है। परिवारों को अधिक से अधिक पौष्टिक सब्जी, सहजन, आंवला एवं फलों के पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।


    जिलाधिकारी ने कहा कि जनपदवासियों ने कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए बड़ी ही सतर्कता के साथ सामाजिक दूरी का पालन किया है। मास्क और सेनेटाइजर का प्रयोग करते हुए दैनिक जीवन के काम किए हैं। 
जिलाधिकारी ने अपील किया है कि पोषण सेवाओं में गुणवत्ता लाते हुए लक्षित परिवारों में चेतना लाएं जिससे कार्यक्रम जनआंदोलन का रूप ले सके।
  जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार मौर्य ने बताया कि बच्चों के शारीरिक विकास में मां के दूध की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने बच्चों को छह माह तक स्तनपान कराने तथा छह माह बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सलाह पर स्तनपान के साथ पोषक तत्त्वों से युक्त ऊपरी आहार देने की सलाह दी है।

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