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भारतीय वैज्ञानिक का कमाल : दुनिया का सबसे तेज़ माइक्रोस्कोप जो समय को ठहरा दे...



World's fastest Microscope : एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने दुनिया का सबसे तेज़ वाइड-फील्ड माइक्रोस्कोप विकसित किया है। इस वैज्ञानिकों की टीम में आजमगढ़ के लाल, IIT जोधपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा भी शामिल हैं।

यह माइक्रोस्कोप अत्याधुनिक Compressed Ultrafast Planar Polarisation Anisotropy Imaging (CUP2AI) तकनीक पर आधारित है। यह तकनीक दुनिया में अपनी तरह की पहली और एकमात्र है, जो सिंगल-शॉट 2D आणविक आकार (2D molecular-size) की मैपिंग करने में सक्षम है।

CUP2AI माइक्रोस्कोप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह तरल और गैसीय पदार्थों में अणुओं का आकार वास्तविक समय में (real-time) माप सकता है। यह माइक्रोस्कोप बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के, बहुत तेज़ी से और बड़े क्षेत्र में अणुओं (molecules) का अध्ययन करता है।

पारंपरिक माइक्रोस्कोपों में अक्सर दृश्य क्षेत्र बहुत छोटा होता है, और इमेजिंग की गति भी धीमी होती है। लेकिन CUP2AI माइक्रोस्कोप सेंटीमीटर के पैमाने पर बड़े क्षेत्रों का अध्ययन कर सकता है, और यह प्रति सेकंड 125 अरब फ्रेम्स की गति से इमेजिंग कर सकता है, जो बेहद तेज़ है!

इस अभूतपूर्व सफलता को अमेरिका की नासा-कैलटेक (NASA-Caltech) और जर्मनी की FAU Erlangen की टीमों के साथ मिलकर हासिल किया गया है। मूल रूप से जनपद आजमगढ़ के पैकौली गांव निवासी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा ने माइक्रोस्कोप विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह तकनीक दवा खोज से लेकर पर्यावरण विज्ञान तक कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है।

इस तकनीकी का विकास अल्ट्राफास्ट लेज़र, स्ट्रिक कैमरा, और एडवांस्ड कम्प्यूटेशनल एल्गोरिद्म्स के के संयोजन से संभव हो सका है। CUP2AI माइक्रोस्कोप प्रकाश में अणुओं की सूक्ष्म गति से उत्पन्न होने वाले परिवर्तन का उपयोग कर बेहद तीक्ष्णता से 2D चित्र बनाता है, जो सामान्य ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप्स से कहीं अधिक सटीक होते हैं।

सबसे खास बात यह है कि CUP2AI इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप्स की तरह वैक्यूम या विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं रखता। यह सामान्य वायुमंडलीय परिस्थितियों में काम करता है और नमूनों को उनके प्राकृतिक तरल या गैसीय रूप में जांच सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह नाजुक जैविक या रासायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करते वक्त उन्हें बिना नुकसान पहुँचाए उनकी वास्तविक अवस्था में देखने की सुविधा देता है, जैसे समय रुक गया हो।  

Indiatoday.in से बात करते हुए डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा ने कहा, "माइक्रोस्कोप के संभावित अनुप्रयोग बहुत व्यापक हैं। बायोमेडिकल रिसर्च में, CUP2AI दवा-लक्ष्य इंटरैक्शन और प्रोटीन डायनेमिक्स के वास्तविक समय के विज़ुअलाइज़ेशन को सक्षम बनाता है, जिससे दवा की खोज और बायोमार्कर विकास में तेजी आती है। नैनोटेक्नोलॉजी में, यह वैज्ञानिकों को नैनोपार्टिकल निर्माण और स्व-संयोजन का अध्ययन करने की अनुमति देता है। यह सिस्टम कार्सिनोजेनिक हाइड्रोकार्बन से ब्लैक कार्बन सूट के निर्माण में अभूतपूर्व अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है, जो पर्यावरण विज्ञान और जलवायु अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।"

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