कला साहित्य के महत्व को समझने वाले अधिकारी होंगे तो निश्चय ही कला पनपेगी
![]() |
कागज के लुद्गी से बना डीएम एनपी सिंह का चित्र |
आजमगढ़ : किसी जनपद का कोई ऐसा प्रसाशनिक अधिकारी जो अपने सकारात्मक, रचनात्मक सोच और अपने कार्यों से उस जनपद का चित्र बदल दिया हो अमूमन कम ही सुनाई पड़ता है और जबकि ऐसे जनपद की जिसकी छवि एक बड़े स्तर पर नकारात्मक हो। वाकई यह एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। ख़ास तौर पर जब कला और साहित्य जो केंद्र बिंदु में हो। ऐसे ही एक जिलाधिकारी हमारे गृह जनपद आज़मगढ़ के हैं श्री नागेंद्र प्रसाद सिंह। जिनके कार्यों से जनपद के लोग और यहाँ के कलाकार तथा हम स्वयं प्रभावित हो कर यहाँ चर्चा कर रहे हैं। इसी चर्चा से प्रभावित होकर हमने इनके पोर्ट्रेट पेपर मैसी में बनाने का निश्चय किया और जो पूर्ण हुआ।
साहित्य की दुनियां में आज़मगढ़ राहुल सांकृत्यायन, कैफ़ी आज़मी, अयोध्या सिंह हरिऔध के नाम से दुनियाभर में विख्यात है, वहीं दर्जनों की संख्या में शहीदों के भी नाम हैं जिन्होंने अपने प्राण सीमा की रक्षा में लगा दी। जहाँ देश मे एक नकारात्मक पहचान के आगे जनपद में भी इनकी खोती पहचान को कायम करने के लिए स्वयं जिलाधिकारी ने जिले के लोगों को जागरूक करने का काम किया और इनके सम्मान में अनेकों कार्य भी किया।
आज जब कोरोना जैसी महामारी से पूरा विश्व एक संकट से लड़ रहा है। ऐसे में हमारे जिलाधिकारी महोदय दिनोरात जनपद की रक्षा और सुरक्षा में लगे हुए हैं। जिला प्रशासन आज़मगढ़ के प्रति संवेदनशील जिलाधिकारी एन.पी.सिंह के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ, कि आज़मगढ़ के दूरदराज में संकटग्रस्त कलाकारों/रंगकर्मियों को आर्थिक व अन्य सहयोग प्रदान किया गया।
![]() |
चित्रकार भूपेंद्र कुमार अस्थाना |
जब कला साहित्य के महत्व को समझने वाले अधिकारी होंगे तो निश्चय ही कला व कलाकार सम्मान पाएंगे और कला पनप पाएगी। इन्होंने लोगों का कला,संस्कृति और साहित्य के प्रति सकारात्मक नजरिया की तरफ ध्यान दिलाने की पहल की। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इस बार हुए आज़मगढ़ महोत्सव है। यह महोत्सव पहली बार जनपद के तहसील स्तर पर किया गया और इस महोत्सव में आज़मगढ़ के सभी कला, संगीत, रंगमंच, नृत्य, खेल, आज़मगढ़ की पॉटरी, हस्तकला और आमजन के रचनात्मक ऊर्जा को अभिव्यक्त करने के लिए एक शानदार आयोजन किया गया। तथा सम्मान दिया गया। इसका मैं स्वयं आँखों देखा उदाहरण हूँ। मुझे भी इस महोत्सव में चित्रकला, फोटोग्राफी प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था।
मेरा मानना है कि इस प्रकार की सोच तभी आकार लेती है जब इस प्रकार सोच रखने वाला व्यक्ति स्वयं पहल करता है। जिलाधिकारी महोदय स्वयं साहित्य से जुड़े हुए हैं। तभी आज हम ऐसे व्यक्तित्व की चर्चा कर रहे हैं। जिसके कारण आज जनपद में कला साहित्य से जुड़े लोग इनकी प्रसंशा कर रहे हैं।
लेख -भूपेंद्र कुमार अस्थाना (चित्रकार)
No comments