राज्यसभा सांसद अमर सिंह का निधन, सिंगापुर के अस्पताल में ली आखिरी सांस
राज्यसभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में इलाज के दौरान शनिवार की दोपहर को निधन हो गया है। 64 वर्षीय अमर सिंह लगभग 6 महीने से बीमार चल रहे थे। उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। वे पिछले लगभग 6 महीने से सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती थे। 27 जनवरी 1956 को आजमगढ़ जिले में उनका जन्म हुआ था।
अमर सिंह के सियासी सफर की बात करें तो एक दौर में वो समाजवादी पार्टी के सबसे असरदार नेता थे। समाजवादी पार्टी की कमान अखिलेश के हाथों में जाने के बाद उन्हें सपा से किनारा करना पड़ा। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह उन पर बहुत भरोसा करते थे। नेटवर्किंग से लेकर तमाम अहम जिम्मेदारियों का दारोमदार उनके कंधों पर था।
वर्ष 1996 के आसपास वो समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। फिर जल्दी ही पार्टी के महासचिव बना दिये गए। वो ताकतवर होते गए। कहा जाने लगा था कि मुलायम कोई भी काम बगैर उनके पूछे नहीं करते। उस वक्त ये भी कहा जाने लगा कि राजनीति में अमर सिंह के लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। 2008 में भारत की न्यूक्लियर डील के दौरान वामपंथी दलों ने समर्थन वापस लेकर मनमोहन सिंह सरकार को अल्पमत में ला दिया। तब अमर सिंह ने ही समाजवादी सांसदों के साथ साथ कई निर्दलीय सांसदों को भी सरकार के पाले में ला खड़ा किया। संसद में नोटों की गड्ढी लहराने का मामला भी सामने आया। इस मामले में अमर सिंह को तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा।
हालांकि ये भी सही है कि अमर सिंह की कार्यशैली ने पार्टी में ही ताकतवर लोगों को नाराज कर दिया। एक समय में समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की हैसियत ऐसी थी कि उनके चलते आज़म ख़ान, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे मुलायम के नज़दीकी नाराज़ होकर पार्टी छोड़ गए। नतीजा ये हुआ कि मुलायम को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी
वर्ष 2010 में पार्टी से निकाल दिया गया। वर्ष 2016 में समाजवादी पार्टी में वो फिर लौटे। राज्य सभा के लिए चुने गये। लेकिन जल्दी ही फिर उनके लिए मुश्किल भरे दिन आने वाले थे। एक साल बाद ही समाजवादी पार्टी में जबरदस्त उठापटक के बाद अखिलेश ने पार्टी को अपने कब्जे में ले लिया और अमर सिंह फिर किनारे हो गए।
हालांकि उन्होंने तब अखिलेश के खिलाफ जमकर बयानबाजी की। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में जमकर बयान दिए। उन्होंने इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपनी पैतृक संपत्ति दान में दे दिया। पिछले दो सालों से अमर सिंह करीब करीब भारतीय राजनीति से दूर हो चुके थे।

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