पूर्व राज्यसभा सांसद बलिहारी बाबू का कोरोना से निधन
बलिहारी बाबू को बसपा से दो बार राज्यसभा जाने का मौका मिला। 2006 में कांशीराम के निधन के बाद वर्ष 2007 में उन्हें फिर राज्यसभा जाने का मौका मिला लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। इसके बाद बलिहारी बाबू को पार्टी से निकाल दिया गया। बसपा से निकाले जाने के बाद वे कांग्रेस पार्टी चले गए और पार्टी ने 2014 में लालगंज लोकसभा सीट से टिकट दे दिया, लेकिन यहां उन्हें जीत नही मिली। 2017 में फिर बसपा में शामिल हुये। फिर कुछ साल बाद 2020 में बसपा छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया।
1984 में कांशीराम ने जब बामसेफ और डीएस-4 के जरिए दलित, पिछड़े और मुस्लिम समाज को एकजुट करने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में साइकिल यात्रा निकाली तो उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर बलिहारी बाबू संस्थापक सदस्य के रूप में खड़े रहे।
अखिलेश यादव ने कहा- अपूरणीय क्षति
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, 'अत्यंत दुःखद! सपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व राज्यसभा सांसद एवं बहुजन आंदोलन के योद्धा श्री बलिहारी बाबू जी का निधन, अपूरणीय क्षति। दिवंगत आत्मा को शांति दे भगवान। शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना। भावभीनी श्रद्धांजलि।'
अत्यंत दुःखद!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 28, 2021
सपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व राज्यसभा सांसद एवं बहुजन आंदोलन के योद्धा श्री बलिहारी बाबू जी का निधन, अपूरणीय क्षति।
दिवंगत आत्मा को शांति दे भगवान।
शोकाकुल परिजनों के प्रति संवेदना।
भावभीनी श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/smQ14QWIKC
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