पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने मायावती को दिया बड़ा झटका
सुखदेव राजभर ने पत्र में कहा कि मैं प्रारंभ से ही बसपा का सक्रिय सदस्य रहा हूं। कांशीराम के साथ मिलकर शोषितों, वंचितों, दलितों व पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ी। आज की बदलती हुई परिस्थतियों में यह महसूस कर रहा हूं कि इनकी आवाज को वर्तमान की अन्यायपूर्ण व शोषणकारी सरकार द्वारा दबाया जा रहा है। इन परिस्थितियों में बहुजन मूवमेंट और सामाजिक न्याय कमजोर पड़ रहा है। पिछले दो वर्षों से मेरा स्वास्थ्य बेहद खराब है। इसके कारण इनकी और अपने समाज की लड़ाई में योगदान नहीं दे पा रहा हूं।
आज जिस प्रकार की राजनीतिक परिस्थितियां जिस प्रकार व्याप्त हैं हमारे समाज के मिशनरी और जिम्मेदार लोगों को स्वार्थी तत्वों के दबाव में बाहर निकाला जा रहा है या दरकिनार किया जा रहा है। इन्हीं स्वार्थी तत्वों द्वारा बहुजन मूवमेंट को दिशाहीन किया जा रहा है। इससे मैं बहुत आहत हूं। इस परिस्थिति में मेरे इकलौते पुत्र कमलाकांत राजभर पप्पू ने मुझसे हक और हकूक की लड़ाई को आगे बढ़ाने की अनुमति मांगी है। उसने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपना नेता स्वीकार किया है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि प्रदेश के भविष्य अखिलेश यादव के नेतृत्व में वह समाज की लड़ाई उत्तरोत्तर आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे।
सुखदेव राजभर वर्ष 1991 में पहली बार विधानभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए थे।1993-95 में राज्य मंत्री सहकारिता, माध्यमिक, बेसिक शिक्षा रहे। मई 2002 से अगस्त 2003 संसदीय कार्य मंत्री, वस्त्रोद्योग व रेशम रहे। वर्ष 2007 से 2012 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। सत्रहवीं विधानसभा के लिए वर्ष 2017 में पांचवीं बार विधायक बने।
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