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गैर इरादतन हत्या के गुनहगार को 7 वर्ष कारावास तथा 15 हजार रुपये जुर्माना



आजमगढ़ : गैर इरादतन हत्या के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने एक गुनहगार को सात वर्ष के सश्रम कारावास तथा 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट नंबर दो सौरभ सक्सेना की अदालत ने दिया।

वादी राधेश्याम निवासी पश्चिम पट्टी गौरी का पूरा ने थाना अहरौला में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। राधेश्याम के पिता रामकरन 28 दिसंबर 2003 को दिन में 10 बजे अपनी पत्नी लक्खी के साथ खेत पर जा रहे थे। तभी आरोपी भगेलू तथा उसके दो नाबालिग पुत्रों से लक्खी से भूत प्रेत की बात को लेकर झगड़ा हो गया। भगेलू तथा उसके पुत्रों ने आरोप लगाया कि लक्खी और रामकरन जादू टोना करते हैं। इसी कहासुनी में भगेलू तथा उसके दो पुत्रों ने रामकरन को बुरी तरह से मारा-पीटा। घायल रामकरन की पांच जनवरी 2004 को अस्पताल में मृत्यु हो गई। 

पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद तीनों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रेषित किया। भगेलू के दोनों पुत्रों के नाबालिग होने के कारण उनकी पत्रावली अलग कर दी गई। अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता रामनाथ प्रजापति ने वादी राधेश्याम, लक्खी देवी ,राम बहादुर यादव, डा. जीसी मौर्य, फार्मेसिस्ट राजेंद्र प्रसाद तथा उपनिरीक्षक बगेदू राम को बतौर गवाह न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने भगेलू को सात वर्ष के सश्रम कारावास तथा 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

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