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सगे भाई की हत्या के मामले में भाई व भाभी को आजीवन सश्रम कारावास



आजमगढ़ : हत्या के मुकदमे में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने दो आरोपियों को आजीवन सश्रम कारावास तथा प्रत्येक को दस हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक कोर्ट नंबर दो सौरभ सक्सेना ने बुधवार को सुनाया।

अभियोजन कहानी के अनुसार, राम अवध यादव निवासी मूसेपुर थाना सिधारी के पिता इंद्रजीत यादव पोस्ट ऑफिस से मार्च 2003 में रिटायर हुए थे। वादी मुकदमा चार भाई थे। जिसमें सबसे बड़े भाई दीनदयाल अलग रहते थे। दीनदयाल तथा उनकी पत्नी सुभावती को यह संदेह था कि पिता इंद्रजीत के रिटायर होने के बाद उनके फंड का पैसा दूसरे नंबर के भाई राम अवतार ने ले लिया है। इसी बात की रंजिश को लेकर दीनदयाल के नाबालिग लड़के ने 7 जुलाई 2003 को राम अवतार को जान से मारने की धमकी दी थी। दूसरे दिन 8 मार्च को रात लगभग साढ़े आठ बजे जब रामअवतार दुकान बंद करके घर वापस आ रहा था। तब घर से थोड़ी देर पहले ही दीनदयाल तथा सुभावती के ललकारने पर उनके नाबालिग पुत्र ने राम अवतार को गोली मार दी। जिससे मौके पर ही अवतार की मृत्यु हो गई।

पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद तीनों आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। नाबालिग आरोपी की पत्रावली किशोर न्याय बोर्ड भेज दी गई। अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता अभय दत्त गोंड ने रामअवध यादव, इंद्रजीत यादव, लल्लन यादव, डॉक्टर पी एन नाडर, उपनिरीक्षक नागेश मिश्रा, कांस्टेबल रामबचन राम तथा उप निरीक्षक लंबोदर प्रसाद को बतौर साक्षी न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी दीनदयाल उर्फ रामदयाल यादव तथा सुभावती यादव को सश्रम आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को दस हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।

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