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करोड़ों का पैकेज छोड़ वतन वापस लौटे वैज्ञानिक डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा, NASA में रच चुके हैं इतिहास


आजमगढ़ : वैज्ञानिक डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा ने नासा/कैलटेक (अमेरिका) में करोड़ों की नौकरी छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया है। डॉ. मिश्रा ने 2023 में दुनिया का सबसे तेज लेजर शीट इमेजिंग कैमरा बनाया था, जो एक सेकंड में अरबों तस्वीरें ले सकता है। अब वे IIT जोधपुर में प्रोफेसर बनकर देश की सेवा करेंगे। उनका लक्ष्य है कि भारत को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाए। सालों पहले, उनके पिता ने अपने बेटे की शिक्षा के लिए अपनी भूमि बेचने का बलिदान दिया था।

आजमगढ़ जिले के पैकौली गांव के एक साधारण परिवार से आने वाले असाधारण प्रतिभा के धनी वैज्ञानिक डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा विज्ञान की दुनिया में इतिहास रच चुके हैं। मिश्रा ने 2023 में नासा/कैलटेक (अमेरिका) में अपनी टीम के साथ मिलकर दुनिया का सबसे तेज़ लेजर शीट इमेजिंग कैमरा तैयार किया था। ये क्रांतिकारी तकनीक सैकड़ों अरब फ्रेम प्रति सेकंड की गति से चित्र लेने में सक्षम है, जिससे वैज्ञानिकों को पहली बार यह देखने का अवसर मिला कि लैंप, कार इंजन और हवाई जहाज के इंजनों में कालिख कैसे बनती है। उनका यह अनूठा आविष्कार न केवल वैज्ञानिक समझ को नई ऊंचाइयों तक ले गया बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी दिलाई। उनके शोध को Nature के प्रतिष्ठित जर्नल Light : Science & Applications में 2023 का सबसे अधिक पढ़ा और डाउनलोड किया गया शोधपत्र घोषित किया गया।


डॉ. योगेश्वर नाथ अपने आदर्श सर सीवी रमन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और डॉ. कल्पना चावला से प्रेरणा लेते हुए विज्ञान और तकनीक की नई ऊंचाइयों को छूते रहे हैं। अपने शोध और अकादमिक योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिससे वे अपने क्षेत्र के अग्रणी वैज्ञानिकों में शामिल हो गए हैं।


बॉलीवुड बायोपिक बनाना चाहता हैं

डॉ. योगेश्वर नाथ मिश्रा की असाधारण यात्रा से प्रभावित होकर मशहूर फिल्म निर्माता महेश भट्ट और लेखक दिलीप झा उनकी जिंदगी पर बायोपिक बनाने में दिलचस्पी दिखा चुके हैं।


भारत को विज्ञान और तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प

डॉ. मिश्रा का सपना है कि वे भारत में एक विश्वस्तरीय अनुसंधान प्रयोगशाला स्थापित करें, जो दुनिया की किसी भी प्रयोगशाला से बेहतर हो। उनका मिशन है कि भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर और वैज्ञानिक नवाचारों में अग्रणी बनाया जाए। उनकी भारत वापसी न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारत को अल्ट्राफास्ट इमेजिंग, एयरोस्पेस और डिफेंस टेक्नोलॉजी में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।

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