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निर्माण विवाद में हत्या, 6 साल बाद अदालत ने सुनाया फैसला



आजमगढ़ : निर्माण कार्य रोकने के विवाद में पड़ोसी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। करीब साढ़े छह साल बाद विशेष सत्र न्यायाधीश विजय कुमार वर्मा की अदालत ने शनिवार को मुख्य आरोपी राणा प्रताप सिंह को आजीवन कारावास और 65 हजार रुपये जुमार्ने की सजा सुनाई, जबकि सबूतों के अभाव में बाकी छह आरोपियों को बरी कर दिया।

अभियोजन के अनुसार, थाना देवगांव क्षेत्र के मसीरपुर गांव निवासी जय प्रकाश सिंह अपने घर पर बारजे का निर्माण करा रहे थे। सुबह करीब 10 बजे पड़ोसी राणा प्रताप सिंह ने काम रुकवा दिया। इस पर जय प्रकाश और उनके छोटे छोटे भाई अनिल सिंह ने एतराज जताया तो बात बिगड़ गई। राणा प्रताप सिंह ने अपने भाई विजय प्रताप, बेटे नितेश, चचेरे भाइयों योगेश, ज्ञानेश, ओमप्रकाश और साथी अखिलेश सिंह उर्फ पप्पू के साथ मिलकर ईंट-पत्थर चलाए और असलहों से फायरिंग शुरू कर दी। राणा प्रताप ने निशाना साधकर अनिल सिंह को गोली मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हमले में परिवार के कई अन्य लोग भी गंभीर रूप से घायल हुए थे। पुलिस ने जांच के बाद सभी सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

अभियोजन की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता निर्मल कुमार शर्मा व ओमप्रकाश सिंह ने कुल आठ गवाहों को अदालत में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद अदालत ने राणा प्रताप सिंह को दोषी मानते हुए उम्रकैद और 65 हजार रुपये जुमार्ने की सजा सुनाई। जुमार्ने की आधी राशि मृतक अनिल सिंह के वारिसान को देने का भी आदेश दिया गया। पर्याप्त साक्ष्य न मिलने के कारण विजय प्रताप, नितेश, योगेश, ज्ञानेश, ओमप्रकाश और अखिलेश सिंह उर्फ पप्पू को अदालत ने बरी कर दिया।

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