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महात्मा बुद्ध का अहिंसा, करूणा और मैत्री का संदेश सम्पूर्ण मानवता के लिए अमूल्य निधि है -डीएम



आजमगढ़ : बुद्धपुर्णिमा के अवसर पर जिलाधिकारी नागेन्द्र प्रसाद सिंह द्वारा डा0 अम्बेडकर बाल विद्या मंदिर जू0हाईस्कूल हरवंशपुर में स्थापित मंदिर के प्रांगण में बुद्ध मुर्ति पर दीप जलाकर पूजा-अर्चना की गयी। डीएम ने कहा कि प्रकृति की पूजा साथ हमने ईश्वर की कल्पना की। जो कालान्तर में राजाओं को ईश्वर का सबूत मानते हुए ईश्वर का मानवीकरण करते हुए हमने मनुष्य का श्रम विभाजन नही, मानव का विभाजन किया गया। प्रकृति की पूजा साथ हमने ईश्वर की कल्पना की। जो कालान्तर में राजाओं को ईश्वर का सबूत मानते हुए ईश्वर का मानवीकरण करते हुए हमने मनुष्य का श्रम विभाजन नही, मानव का विभाजन किया गया। पहले कर्म के आधार पर वर्ण व्यवस्था किया गया, मनुष्य में वर्चस्व की भावना व्याप्त हो गया आज जातीय विभिषिका के रूप में पर्णित हो गया। सामाजिक कार्य मनुष्य के योग्यता के आधार पर नही बल्कि जन्म के आधार पर वर्गीकृत हो गया। सामाजिक परिवर्तन की बयार महात्माबुद्ध ने किया। महात्माबुद्ध ने सबसे पहले अनुरक्त को त्यागा। महात्माबुद्ध ने कहा कि स्वयं दीपक बनों अपने अन्दर की ऊर्जा को जागृत करों। आज हम लोगों को महात्माबुद्ध के उपदेश को अपनाने की जरूरत है। महात्मा बुद्ध का अहिंसा, करूणा और मैत्री का संदेश सम्पूर्ण मानवता के लिए अमूल्य निधि है। इसी के साथ ही चित्त की शांति तथा हृदय में करूण की शिक्षा दी गयी।

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