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B.Ed. धारी उतरे सड़क पर, किया प्रदर्शन

आजमगढ़ : देश में शिक्षक बनने के लिए अलग-अलग डिग्री हासिल करनी होती है। इनमें से दो डिग्रियां हैं B.Ed और BTC। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया, जिसमें कोर्ट ने कहा है कि B.Ed डिग्री धारक अब प्राइमरी शिक्षक नहीं बन सकेंगे। पांचवीं कक्षा तक पढ़ाने के लिए अब सिर्फ BTC डिग्रीधारी ही एलिजिबल होंगे।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रभावित B.Ed. डिग्री पूरी करने वाले छात्र पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगा रहे हैं। छात्रों ने ट्विटर कैंपेन चलाया। अब कई शहरों में सड़कों पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

छात्रों का कहना है कि सरकार इस मामले से जुड़ा एक अध्यादेश लाए और B.Ed डिग्री वालों के साथ इंसाफ किया जाए। जिससे कि उन्हें प्राइमरी शिक्षक भर्ती के लिए पात्र माना जाए। कई छात्र तो अब सरकार की NEP 2020, यानी न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत 4 साल के B.Ed कोर्स पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।

इसी क्रम में बुधवार को बीएड छात्र संघर्ष मोर्चा की बैठक कुंवर सिंह उद्यान में हुई। इसके बाद अभ्यर्थियों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। जिला प्रशासन के माध्यम से पीएम को पत्रक भेजकर बीएड धारको को प्राथमिक शिक्षा में अध्यापक बनने की योग्यता के लिए अध्यादेश बिल लाने की मांग उठाई।

प्रदेश अध्यक्ष राहुल विद्यार्थी ने कहा कि अभ्यर्थियों ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) और केंद्र सरकार द्वारा 28 जून 2018 को जारी आधिकारिक राजपत्र के अनुसार ही अपनी बीएड डिग्री पूरी किया है। राजपत्र के अनुसार बीएड अभ्यर्थी भी देश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने की पूरी योग्यता रखते हैं।

कहा कि 11 अगस्त 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने एनसीटीई के उक्त राजपत्र को असंवैधानिक करार देने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के 25 नवंबर 2021 के निर्णय को ही मान्य कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से देशभर के करोड़ों बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक बनने के सपनों पर आघात पहुंचा है।

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