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जेल काण्ड का पर्दाफ़ाश: जिला कारागार के खाते से कैदी ने निकाले 52.85 लाख रुपये, जेलकर्मी समेत 4 गिरफ्तार



आजमगढ़ : जिला कारागार में हुए एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें जेलकर्मियों और पूर्व कैदियों की मिलीभगत से ₹52,85,000 की अवैध निकासी की गई। इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और पुलिस द्वारा उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?

जिला कारागार अधीक्षक आदित्य कुमार ने 10 अक्टूबर 2025 को थाना कोतवाली में लिखित तहरीर देकर इस धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। जांच में पाया गया कि कारागार के सरकारी खाते से धोखाधड़ी कर बड़ी रकम एक पूर्व बंदी रामजीत यादव के खाते में ट्रांसफर की गई थी।

जब कैनरा बैंक (थाना कोतवाली शाखा) से खाता विवरण निकाला गया, तो पता चला कि ₹2.6 लाख रामजीत यादव के खाते में ट्रांसफर हुए हैं। इसके बाद पूरे मामले की परतें खुलती चली गईं।

प्रारंभिक जांच में चार लोगों रिहा कैदी रामजीत यादव उर्फ संजय, वर्तमान बंदी व कारागार में राइटर के रूप में कार्यरत शिवशंकर उर्फ गोरख यादव, वरिष्ठ सहायक / प्रभारी लेखा मुशीर अहमद एवं चौकीदाअवधेश कुमार पाण्डेय की संलिप्तता सामने आई। इन सभी ने मिलकर कारागार अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर और मोहर का उपयोग कर चेक के माध्यम से सरकारी खाते से रकम निकाली।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

* कैदियों को लेखा कार्यालय में कार्य करने की अनुमति दी गई थी। वहाँ से ब्लैंक चेक चोरी किए गए।

* वरिष्ठ अधीक्षक की फर्जी मुहर और हस्ताक्षर का उपयोग किया गया।

* पैसे रामजीत यादव के खाते में ट्रांसफर किए जाते थे, जो बाद में सभी आरोपियों में बांटे जाते थे।


गिरफ्तार अभियुक्त:

1. रामजीत यादव (33 वर्ष) – गबन की राशि से मोटरसाइकिल, मोबाइल खरीदा; बहन की शादी में 25 लाख खर्च किए।

2. शिवशंकर यादव (27 वर्ष) – ₹5 लाख खर्च किए निजी उपयोग में।

3. मुशीर अहमद (45 वर्ष) – ₹7 लाख गबन कर व्यक्तिगत खर्चों में इस्तेमाल किए।

4. अवधेश कुमार पाण्डेय (50 वर्ष) – ₹1.5 लाख खर्च किए घरेलू उपयोग में।

पुलिस ने एक बुलेट मोटरसाइकिल, एक ओपो मोबाइल फोन, बैंक चेक की फोटो, बैंक स्टेटमेंट और फर्जी मुहर बरामद किया है।

रामजीत यादव के खाते से शेष ₹23,000 होल्ड कर दिए गए हैं। उसके परिवारजनों के खातों की भी जांच और होल्डिंग प्रक्रिया जारी है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है और अन्य संभावित संलिप्त व्यक्तियों की तलाश की जा रही है।

पुलिस के अनुसार, “यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी थी, जिसमें अंदर के कर्मचारियों की मदद से बाहर गए बंदियों ने भी भागीदारी निभाई। अभी और भी खुलासे हो सकते हैं।

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