इंडियन मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य आजमगढ़ का मिर्ज़ा शादाब बेग भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी से था बीटेक छात्र, 18 साल से फरार
आजमगढ़ : लालकिले के पास हुए कार धमाके के आरोपी डॉ. उमर नबी के अल-फलाह यूनिवर्सिटी से लिंक सामने आने के बाद, अब इंटेलिजेंस एजेंसियों ने इस यूनिवर्सिटी को लेकर एक और बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी अल-फलाह से पढ़े कई स्टूडेंट आतंकी गतिविधियों में शामिल रह चुके हैं।
इंडियन मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य मिर्ज़ा शादाब बेग भी अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज का ही छात्र रह चुका है। शादाब ने 2007 में फरीदाबाद स्थित अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन) पूरा किया था। उसी साल अहमदाबाद में हुए सीरियल धमाकों में वह शामिल पाया गया। यह आतंकी पिछले कई सालों से फरार है। शादाब बेग आजमगढ़ जिले के राजा किला क्षेत्र का रहने वाला था।
मिर्ज़ा शादाब बेग 2008 के जयपुर धमाकों में विस्फोटक इकट्ठा करने के लिए वह उडुपी गया था। वहीं पर उसने रियाज़ और यासीन भटकल को बड़ी मात्रा में डेटोनेटर और बेयरिंग उपलब्ध कराए, जिनसे आईईडी तैयार किए गए. इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के कारण शादाब बम बनाने की तकनीक में काफी माहिर माना जाता था।
अहमदाबाद धमाकों से करीब 15 दिन पहले शादाब वहां पहुंचा था और पूरे शहर की रेकी की थी। उसने तीन टीमों के साथ मिलकर धमाकों की प्लानिंग की और लॉजिस्टिक, आईईडी फिटिंग और बम तैयार करने का काम संभाला था।
गोरखपुर में हुए 2007 के बम धमाकों में भी मिर्ज़ा शादाब बेग का नाम सामने आया था। इन धमाकों में 6 लोग घायल हुए थे. बाद में आईएम से लिंक जुड़ने पर गोरखपुर पुलिस ने उसकी संपत्ति कुर्क कर ली थी।
1 लाख का इनाम
2008 में इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क के खुलासे के बाद से शादाब फरार है। दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद और गोरखपुर के धमाकों में नाम आने के बाद उस पर 1 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था। सूत्रों के अनुसार, 2019 में यह आखिरी बार अफगानिस्तान में लोकेट हुआ था, लेकिन आज तक गिरफ्त से बाहर है।

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