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महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह संपन्न, 60,857 छात्रों को उपाधियाँ, 68 को मिला मेडल



आजमगढ़ : प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में मंगलवार को महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय, आजमगढ़ का द्वितीय दीक्षांत समारोह भव्य रूप से संपन्न हुआ। समारोह में कुल 60,857 विद्यार्थियों को उपाधियाँ तथा 68 विद्यार्थियों को पदक प्रदान किए गए, जिनमें 51 पदक छात्राओं को और 17 पदक छात्रों को प्राप्त हुए। राज्यपाल ने सभी उपाधियों को डिजिटल रूप में छात्रों को उपलब्ध कराने के लिए ‘डीजी लॉकर’ में अपलोड कराया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने आजमगढ़ और मऊ जनपद के आंगनबाड़ी केंद्रों के सशक्तिकरण हेतु 500 आंगनबाड़ी किटों का वितरण किया और बालिकाओं द्वारा पर्यावरण संरक्षण पर लगाए गए स्टॉल का अवलोकन कर उनकी सराहना की। उन्होंने बताया कि उनकी प्रेरणा से आजमगढ़ के पुलिस कर्मियों की 9 से 14 वर्ष की बेटियों को निःशुल्क एचपीवी टीकाकरण कराया गया है।




राज्यपाल का उद्बोधन – “युवाओं के हाथों में है भारत का भविष्य”

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का यह दूसरा दीक्षांत समारोह अनुशासित कार्यप्रणाली का प्रमाण है, जहाँ परीक्षाएँ, परिणाम और समारोह सभी समय पर संपन्न हुए। उन्होंने कहा – “आपके हाथों में भारत के भविष्य की दिशा है। संकल्प कीजिए कि आप राष्ट्र प्रथम की भावना से कार्य करेंगे।”

राज्यपाल ने युवाओं से कहा कि वे केवल रोजगार तक सीमित न रहें, बल्कि राष्ट्र सेवा, समाज उत्थान और मानवता की भलाई को शिक्षा का सर्वोच्च उद्देश्य बनाएं। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को “सांस्कृतिक धरोहर, तकनीक और रोजगार” का संगम बताते हुए युवाओं से आत्मनिर्भर बनने की अपील की।


स्वदेशी और ऑर्गेनिक खेती को दी प्रोत्साहन की प्रेरणा

राज्यपाल ने कहा कि हर विद्यार्थी को अपने परिवार में जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) का अभ्यास करना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी कृषि विश्वविद्यालय इस विषय को प्रोजेक्ट या प्रैक्टिकल के रूप में शामिल करें और जो छात्र वास्तव में इस दिशा में कार्य करें, उन्हें पुरस्कृत किया जाए।



“पीएम सेतु योजना” को बताया कौशल विकास की सेतु

राज्यपाल ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ₹60,000 करोड़ की ‘पीएम सेतु योजना’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह “शिक्षा और उद्योग के बीच एक मजबूत सेतु” है। इस योजना के तहत देशभर के आईटीआई संस्थानों को उद्योग जगत से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे युवा “कामगार नहीं, बल्कि नवाचार के शिल्पी” बन सकें।


“स्किल लैब्स शिक्षा का नहीं, राष्ट्र का भविष्य हैं”

राज्यपाल ने प्रधानमंत्री द्वारा नवोदय और एकलव्य विद्यालयों में 1200 स्किल लैब्स के उद्घाटन का उल्लेख करते हुए कहा – “यह केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र के भविष्य का उद्घाटन है।” उन्होंने जनप्रतिनिधियों को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि स्किल लैब्स का लाभ अधिकतम युवाओं तक पहुँचे।


उपस्थिति और गुरु-शिष्य परंपरा पर जोर

राज्यपाल ने विद्यार्थियों की उपस्थिति कम होने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि शिक्षा तभी सार्थक है जब विद्यार्थी गुरु के सानिध्य में बैठकर सीखें। उन्होंने 75 प्रतिशत न्यूनतम उपस्थिति अनिवार्य करने की बात कही।



स्वच्छता, अनुशासन और सामाजिक चेतना पर बल

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि छात्र-छात्राएँ महीने में एक दिन अपना भोजन स्वयं तैयार करें, ताकि स्वच्छता और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित हो। उन्होंने नशामुक्त वातावरण, पर्यावरण संरक्षण, और फिटनेस को प्रोत्साहित करने के लिए साइकिल रैली आयोजित करने का भी सुझाव दिया।


बेटियों और महिला सम्मान पर संवेदनशीलता

राज्यपाल ने समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे उत्पीड़न पर चिंता जताई और विश्वविद्यालयों को चरित्र निर्माण, महिला सम्मान और सामाजिक संवेदनशीलता पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा –“बेटियाँ राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं, उन्हें स्वाभिमान और आत्मबल के साथ आगे बढ़ना होगा।”


ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का किया स्मरण

राज्यपाल ने आजमगढ़ की पावन भूमि को नमन करते हुए कहा कि यह भूमि महर्षि दुर्वासा, भगवान दत्तात्रेय, और वीर महाराजा सुहेलदेव की तपोभूमि रही है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम जिस वीर योद्धा सुहेलदेव पर रखा गया है, वे राष्ट्रभक्ति और स्वाभिमान के प्रतीक हैं।



मुख्य अतिथि और अन्य वक्ताओं के विचार

समारोह के मुख्य अतिथि स्वामी चिदानंद सरस्वती (परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश) ने युवाओं में आध्यात्मिक और मानवीय मूल्यों के प्रसार पर बल दिया। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि आजमगढ़ सांस्कृतिक विरासत का शहर है, जहाँ शिक्षा राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध कराए। उन्होंने कहा – “दीक्षांत समारोह शिक्षांत नहीं है, बल्कि समाज के लिए उपयोगी शिक्षा की शुरुआत है।”

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों से कहा कि अब उनके जीवन की नई उड़ान शुरू हो रही है। उन्होंने कहा कि “भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनेगा, और इसमें युवाओं की भूमिका निर्णायक होगी।”

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए ग्रामों में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए, शिक्षकों की पुस्तकों का विमोचन किया और नवनिर्मित बास्केटबॉल कोर्ट तथा बस का निरीक्षण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में दर्शन एवं पूजन भी किया।

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