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बीमा कंपनी को क्लेम खारिज करना पड़ा महंगा, आयोग ने 3.83 लाख रुपये भुगतान करने का दिया निर्देश


आजमगढ़ : जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बीमा उपभोक्ता को बड़ी राहत देते हुए नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को 3.83 लाख रुपये से अधिक की राशि भुगतान करने का आदेश दिया है। यह आदेश मोहल्ला सीताराम, थाना शहर कोतवाली निवासी शशि भूषण अग्रवाल और उनकी पत्नी संगीता अग्रवाल के पक्ष में सुनाया गया है।

यह मामला 16 अप्रैल 2024 को दाखिल परिवाद से जुड़ा है, जिसमें शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि बीमा पॉलिसी की वैधता और नियमित प्रीमियम के बावजूद, कंपनी ने इलाज का खर्च वहन करने से इनकार कर दिया। आयोग ने यह मुआवजा 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ देने और साथ ही मुकदमे के खर्च के रूप में 5,000 रुपये अतिरिक्त अदा करने का निर्देश भी दिया है।

शशि भूषण अग्रवाल और संगीता अग्रवाल ने वर्ष 2013 में दी ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ली थी। इसके बाद वर्ष 2022 में, राष्ट्रीय बीमा नियामक आयोग (IRDAI) की गाइडलाइन के तहत यह पॉलिसी नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में पोर्ट की गई थी। उन्होंने पॉलिसी की निरंतरता बनाए रखी थी और नियमित रूप से प्रीमियम का भुगतान किया।

3 नवंबर 2022 से 7 नवंबर 2022 तक संगीता अग्रवाल का दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में ऑपरेशन हुआ, जिसमें 3.33 लाख रुपये से अधिक का खर्च आया। लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम यह कहकर खारिज कर दिया कि संबंधित बीमारी पहले से थी।

परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की थी। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश कुमार और सदस्य प्रतिष्ठा वर्मा ने बीमा कंपनी के दावे को खारिज करते हुए परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया। आयोग ने कंपनी को निर्देश दिया कि वह परिवादी को 3,83,655 रुपये 9 प्रतिशत ब्याज सहित और 5,000 रुपये मुकदमे के खर्च के रूप में भुगतान करे।

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